जीवन
जीवन क्या है ?
आशाऒं- निराशाऒं का
क्रीड़ास्थल ।
एक आती है,
दूसरी जाती है ।
एक सपने जगाती है ।
कोमल भावनाऒं की
कलियाँ खिला जाती है ।
मन्द- मन्द बयार बन
उन्हें सहलाती है ।
मन मयूर खुशी से
नाचने लगता है ।
किन्तु तभी---
दूसरी लहर आती है ।
मौसम बदलता है ।
बयार की गति बढ़ जाती है ।
तूफान के झोंके आते हैं ।
हर कली को गिराते हैं ।
बहारों का मौसम
पतझड़ में बदल जाता है ।
सुख- दुःख का जीवन से
बस इतना ही नाता है ।
Monday, 22 September 2008
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35 comments:
बहुत ही सुन्दर ढंग से आप ने जीवन के बारे मॆ अपनी कविता मे लिखा हे,बहुत सुन्दर .
धन्यवाद
सुख- दुःख का जीवन से
बस इतना ही नाता है ।
जीवन के सत्य को बहुत ही सरल ढंग से बयां किया है आपने, बधाई।
shobhaji,
aasha-niraasha key beech parivar, samaj aur desh key liye kutch achchey kaam kar jana hi jeevan hai.
achcha likha hai aapney.
bahot hi sundar chitran hai, dhnyabad,
बहुत सुंदर शोभाजी । सही माने में यही है जीवन ।
बहुत अच्छा लिखा है आपने शोभा जी !
आपके इस ब्लॉग का लिंक "मेरे गीत" पर देकर गौरवान्वित हूँ शोभा जी !
अापकी अिभव्यिक्त में वाकई गहराई है। िजंदगी का बड़े सहज ढंग से वणॆन िकया है अापने।
सुख- दुःख का जीवन से
बस इतना ही नाता है।
सुख दुख से ही यह जीवन बनता जाता है।
Sundertam......
behtar kavya chetna..
aapke blog par aakar achha lagta hai...
शोभा जी, जीवन पर आपकी कविता अच्छी लगी, आपने मेरे ब्लॉग पर आकर मेरा जो उत्साहवर्धन किया उसके लिए धन्यवाद।
तूफान के झोंके आते हैं ।
हर कली को गिराते हैं ।
बहारों का मौसम
पतझड़ में बदल जाता है ।
सुख- दुःख का जीवन से
बस इतना ही नाता है ।
बहुत सुंदर पंक्तियाँ शोभा जी आपकी मुखोटा कविता आज सुनी सच बहुत आनाद आया आपने मेरी कवितायें भी शायद सुनी हों ...
आपको मेरे चिट्ठे पर पधारने के लिए बहुत धन्यबाद अपना आगमन नियमित बनाए रखे
बहुत सुन्दर. पढ़कर एक फिल्मी गीत याह याद आ गया:
जीवन क्या है, कोई न जाने
जो जाने पछताए, जो जाने पछताए!
अच्छा लिखा है
सच्चाई
माँ तुम……
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माँ तुम……
बहुत याद आ रही हो
एक बात बताऊँ………
आजकल…..
तुम मुझमें समाती जा रही हो
kya baat hai ....
सुख-दुख के गहरे नाते को आपने सुंदर अभिव्यक्त किया है।
shobha ji , shukriya mujhe shkti dene ke liye .
तीर स्नेह-विश्वास का चलायें,
नफरत-हिंसा को मार गिराएँ।
हर्ष-उमंग के फूटें पटाखे,
विजयादशमी कुछ इस तरह मनाएँ।
बुराई पर अच्छाई की विजय के पावन-पर्व पर हम सब मिल कर अपने भीतर के रावण को मार गिरायें और विजयादशमी को सार्थक बनाएं।
सुख- दुःख का जीवन से
बस इतना ही नाता है
shoba ji nai ramayan pr kuch kahe
regards
शोभा जी...जीवन पर इस से बेहतर और क्या लिखा जा सकता है...बहुत ही अर्थ पूर्ण और सार गर्भित रचना...वाह...
नीरज
bilkul sahi aur sundar bhavnatmak rachna...
हर इक को
अपने हिस्से की धूप मिली,
किसी को मिला घनेरा साया ,
किसीको मिली जेठ दुपहरी .
ज़िन्दगी क्या खूब मिली
खूब मिली ,बहुत खूब मिली | |
"कबीरा "पर आने का आभारी हूँ ;पुनः आगमन की आशा करता हूँ अंतर्यात्री [एकाकी] पर टिप्पणी की आपेक्षा है |कालचक्र से गुज़र कर चौपाल पर दर्शन दें
ब्लागास्ते
कविताओं में निराशा के स्वर ना भरिये
"कबीरा "
"चौपाल"
"कालचक्र"
शोभा जी ! "पिता के पत्र" पर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद, आपका ईमेल न होने के कारण यहाँ दे रहा हूँ !
"जाकी रही भावना जैसी ,
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी"
कुछ लोगों को यह ब्लाग जगत में लिखा जा रहा सबसे ख़राब लेखन लग रहा है , कुछ आन्दोलन छेड़ने की धमकी तक दे रहे हैं !
शोभा जी आपने शुरू से मुझे उत्साह दिया है , मैं आपका आभारी हूँ !
सतीश
बहुत सुंदर वर्णन जीवन के सच का । बधाई ।
Sukh aur dukh ke bich ka rishta jaane-anjaane hi varnitho gaya hai!...uttam rachana...dhanyawad shobhaji!
बहारों का मौसम
पतझड़ में बदल जाता है ।
सुख- दुःख का जीवन से
बस इतना ही नाता है ।
कम शब्दों में लिख दी
जीवन की कथा .
बहुत खूब
दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ "" कृपा बनाए रखें /
वास्तव में जीवन का सार यही है.
मन्द- मन्द बयार बन
उन्हें सहलाती है ।
मन मयूर खुशी से
नाचने लगता है ।
किन्तु तभी---
दूसरी लहर आती है ।
मौसम बदलता है ।
बयार की गति बढ़ जाती है ।
wah shobha ji, bahut hi aache shabd aur bhaav. bahut aacha laga yeh kavita padhkar.
badhai sweekaren
jeevan me jab dosti ki kali ankurit hoti hai to uske mayane badal jate hai. sukh ho ya dukh kabhi antar pata hi nahi chalta. jaeevan ek utsav ke saman najar aata hai.
Read and coomment on my blog :
www.manish4all.blogspot.com
shobha ji bahut acchhi lagi aapki rachnaye..khas taur se maa wali rachna bahut acchhi lagi..
shobha ji ho sake to apne blog ka background light colour me karo ya fonts bade karo...pls...dont mind..padhne me thora mushkil hota hai.
aap mere blog per aayi mujhe bahut acchha laga...aage bhi intzaar rahega..
shubhkaamnaao k sath izazet chahungi..
shobha ji
aapki har rachan bahut hi badhiya hai.
mujhe ma par likhi kavita to aisi lagi jaise sakshat sach ko aapne pannon par utar diya hai.
अति उत्तम।
वाह वाह।
~जयंत
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