Wednesday 14 May 2008

महिला आरक्षण


संसद में महिला आरक्षण का प्रश्न आज प्रत्येक व्यक्ति की चर्चा का विषय है। इसकी आवश्यकता इतनी बढ़ी है कि अन्तर्जाल पर भी चर्चा की जा रही है। चर्चा होना तो अच्छी बात है किन्तु उसका सार्थक ना होना उतना ही दुःख दाई है।

हमारे कुछ पुरूष मित्रों ने इसे नारी जाति पर प्रहार करने का तथा उनपर हँसने का मुद्धा बनाया है। मैं नहीं जानती कि यह कैसी मानसिकता है । महिलाओं के लिए हल्के शब्दों का प्रयोग करके अथवा अश्लील शब्दों की टिप्पणी देकर वे क्या साबित करना चाहते हैं ।

सत्य तो यह है कि महिला आरक्षण की चर्चा केवल दिखावटी है। कोई भी दल नहीं चाहता कि जिनका वे सदा से शोषण करते आए हैं, पैरों की जूती समझते आए हैं वे उनके साथ आकर खड़ी हो जाए। इसी कारण २० साल से यह विषय मात्र चर्चा में ही है। ना कोई इसका विरोध करता है और ना खुलकर समर्थन। उसको लाने का सार्थक कदम तो बहुत दूर की बात है। उनको लगता है कि नारी यदि सत्ता में आगई तो उनकी निरंकुशता कुछ कम हो जाएगी, उनकी कर्कशता एवं कठोरता पर अंकुश लग जाएगा तथा महिलाओं पर अत्याचार रोकने पड़ेंगें ।

अपने साथी मित्रों को मैं यह बताना चाहती हूँ कि यह पुरूष विरोधी अभियान कदापि नहीं है । इसलिए उटपटाँग शब्दावली का प्रयोग कर अपनी विकृत मानसिकता का परिचय ना दें। पुरूष और स्त्री अगर साथ चलेंगें तो समाज में सुन्दरता ही आएगी कुरुपता नहीं।

मुझे लगता है ३३ ही नही ५० स्थान महिलाओं को मिलने चाहिएँ। आज महिला बौद्धिक, शारीरिक, मानसिक, आत्मिक किसी भी क्षेत्र में कम नहीं फिर उसे आगे आने के अवसर क्यों ना दिए जाएँ? आपत्ति क्यों है ?

निश्चित रहिए -'नारी नर की शक्ति है उसकी शत्रु नहीं । आपस में दोषारोपण से सम्बन्धों में तनाव ही आएगा।

आज समय की माँग है कि नारी को उन्नत्ति के समान अवसर मिलें और खुशी-खुशी उसे उसके अधिकार दे दिए जाएँ।

8 comments:

डॉ .अनुराग said...

शोभा जी कोई दल नही चाहता सब उपरी बातें करते है.....

Unknown said...

बातें आपकी एकदम खरी-खरी हैं, लेकिन इन नेताओं की मोटी चमड़ी को भेदने के लिये कुछ और करना होगा… ये भी तथ्य है कि महिलायें, पुरुषों की अपेक्षा कम भ्रष्ट होती हैं, सो भ्रष्टाचार भी कुछ तो कम होगा, लेकिन इस बिल का पास होना आवश्यक है…

Anonymous said...

शोभा जी सही है की कोई भी दल महिलाओ को सत्ता मे आते नही देखना चाहता .क्योंकि महिलाए सत्ता मे आ गई तो उनकी निरंकुशता पर अंकुश लग जाएगा .और अगर महिला आरक्षण बिल संसद मे पास हो गया तो इतने सालो तक जिस मुद्दे पर वो अपनी राजनेतिक रोटिया सेकते आए है वो उनसे छीन जाएगा

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

यह एक ज्वलंत मुददा है। आपके विचार सुलझे हुए एवं तार्किक हैं। राजनीतिक पार्टियां भले ही इस पर अपनी रोटियाँ सेकें, एक न एक दिन तो उसे पास होना ही है।
और हाँ एक निवेदन- कृपया कमेंट बॉक्स से वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें, इससे इरीटेशन होती है।

शोभा said...

सभी पाठकों का हृदय से धन्यवाद। जाकिर जी आपकी आग्या का पालन कर दिया गया है। सस्नेह

Amit K Sagar said...

bahut khub. keep it up.
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ultateer.blogspot.com

Unknown said...

आपने बहुत सही बात कही - 'नारी नर की शक्ति है उसकी शत्रु नहीं'. रही आरक्षण कि बात तो वर्तमान राजनीतिबाजों से तो कोई उमीद न रखें. कितनी घटिया बात है कि यू पी ऐ और वाम्पन्थिओं के बीच हुए साँझा कार्यक्रम में महिला आरक्षण विधेयक को केवल पेश करने कि बात कही गई है, उसे पारित कराने की नहीं. कितनी शर्म की बात है. आज एक नारी राष्ट्रपति है. आज एक नारी इतनी ताक़तवर है की भारत का प्रधानमंत्री मनोनीत करती है. पर देश की संसद में नारी की उपस्थिति पक्की करने के लिए कोई नियम नहीं बनबा सकती. क्या करें कुर्सी का सवाल है?

shivam said...

kaash aisa ho pata.mudda har koi uthhata hai, sirf apne laabh ke liye lekin yeh haathi ka dikhane ka daant hai.